फलों का राजा आम
“आम” एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही आम और खास दोनों लोगों के मुँह में पानी आ जाता है। अभी हमारे सीतामढ़ी और पुरे बिहार में आम का मौसम चल रहा है जो की ख़त्म होने को है। हमारे यहाँ लोग बड़े चाव से आम खाते है, फल की तरह बिल्कुल नहीं नाश्ता और खाना की तरह खाते है। दो महीने जून और जुलाई चारों ओर आम ही आम दिखाई और सुनाई देता है। हमारे इधर अनेक प्रकार के आम पाये जाते है जिनमें से कुछ प्रमुख आम हैं-बम्बई,मालदह,जर्दा,किशिनभोग,दशहरी,आम्रपाली इत्यादि।

बम्बई को आमों का राजा कहा जाता है। बहुत ही स्वादिस्ट होता है और देखने में ज्यादा बड़ा नहीं होता। मालदह आम में गुदा ज्यादे रहता है और आंठी बहुत पतला, रस से भरपूर होता है यह आम।
इसी तरह सभी आमों की अलग अलग ख़ासियत है।
जितने रूचि से अपने यहाँ लोग आम खाते है उतने ही रूचि से आम के पेड़ भी लगाते है। कोई ऐसा किसान शायद ही आपको मिले जो आम का पेड़ न लगया हो। यहाँ तक की शहरों में रहने वाले लोग भी अपने यहाँ आम का पेड़ जरूर लगाने की कोशिश करते है। कई कई लोग तो बाकयदा आम की खेती करते है और बड़े स्तर पर बीघा के बीघा पेड़ लगाते है जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है। इस 2-3 महीने बर्षा ऋतू में आम हमारे गरीब किसानों के लिए आमदनी का मुख्य श्रोत होता है।

एक मजे की बात बताता हूँ।जो लोग गांव में रहते हों या गए हों वो देखे होंगे। “मचान” जहाँ पर आम का बगीचा होता है वहाँ पर किसान भाई आम के रखवाली के लिए बांस का मचान बना लेते है सोने के लिए। वे रात को यहीं सोते है और दिन भर भी यहीं पर रहते है ताकि उनके मेहनत से उगाये फल को कोई चोरी न कर ले। छोटे किसानों का पूरा परिवार उसी में अपना सारा समय देता है।
आम सिर्फ अकेले नहीं खाया जाता है। इसके कई अनेक व्यंजन भी बनते है। जैसे आम का सब्जी बनता है, चटनी बनता है जिसे हमलोग खटमिट्ठी कहते हैं। बहुत ही स्वादिस्ट बनता है। आम का अंचार कौन नहीं जनता। एक बार बना कर घर में हमलोग रख लेते हैं और फिर साल भर उसका इस्तेमाल करते है। अपने रिश्तेदारों को भी भेज देते हैं। आम के साथ चूरा मिला कर खाने का अपना एक अलग ही मजा है। आम चूरा कई लोगों का इस सीजन में सुबह सुबह का नाश्ता ही हो जाता है।
आम एक तरह से फल नहीं हमारे जिंदगी का हिस्सा है। बिना आम के हमारे लिए फ़ल का कोई महत्व ही नहीं है।
ये हुई आम की कहानी,कुछ छुट गया हो तो आम बताइये।
जय हो आम।।